अलामा इकबाल का ये बहुत ही खुबसूरत और प्रसिद्ध शेर है
- हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा।
एपीजे अब्दुल कलाम साहब 2002 में जब भारत के राष्ट्रपति बने और जिस तरह उनका चयन हुआ.. भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने देखा था। भारत में गंगा-जमुना तहजीब की अगर मिसाल दी जाए और उसमें कुछ महापुरुषों का नाम जोड़ा जाए तो 20वीं सदी में कलाम साहब के नाम पर मुझे नहीं लगता कि हिंदुस्तान की 139 करोड़ की आबादी में किसी को कोई दिक्कत होगी। जिस तरह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जिन्होंने 'रघुपति राघव राजा राम और वैष्णव जन तो तेने कहिये' जैसे मशहूर भजन लिखे। मुझे नहीं लगता कि महात्मा गांधी को किसी ने मंदिर या मस्जिद में जाते हुए देखा होगा। वे अपने जीवन में दूसरे स्तर पर जीने वाले व्यक्ति थे। जिस तरह से महात्मा गांधी ने अपने सत्याग्रह और अहिंसा के दम पर आजादी की लड़ाई लड़ी और भारत को एक मजबूत और शसक्त राष्ट्र बनाया,
ठीक उसी तरह से कलाम साहब ने अग्नि और पृथ्वी मिसाइलें बनाकर। वैसे तो उनका मन और जीवन एक दर्पण की भांति था, बेहद सहज, सरल और संवेदनशील व्यक्ति थे लेकिन भारत को ताकत देने में उन्होंने पृथ्वी और अग्नि मिसाइलों का जो निर्माण किया और उन्हें 'मिसाइल मैन' कहा गया। जैसे राम के कंधे पर लटका हुआ धनुष और हाथ में नीचे पकड़ा बाण यह बताता है कि 'मोहिनी मुरत सांवली सूरत' के पीछे दंड देने की भी ताकत है। अगर समुद्र अनुनय-विनय को नहीं सुनता तो राम के पास ऐसे आग्नेयास्त्र भी थे जो समुद्र को सूखा दें। वैसे ही हमारे कलाम साहब के दिमाग में ऐसी मिसाइलों का नक्शा और उसको बनाने का जुनून था। आज दुनिया इन मिसाइलों का लोहा मानती है।
आज जब भारत जी-20 की मेजबानी कर रहा है, इस विषय पर यहां कुछ न कहना है नाइंसाफी होगी। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। जिस तेजी से भारत अपने कदम बढ़ा रहा है, मुझे लगता है कि जब हम जी-20 प्रेसिडेंसीशिप की बैटन दूसरे देश को जब सौंपेंगे तो भारत पांचवीं से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की ओर छलांग लगा चुका होगा। भारत के लिए जी-20 की मेजबानी करना इन अर्थों में महत्वपूर्ण है कि ये दुनिया के 20 देश दुनिया की 85 फीसद अर्तव्यवस्था को नियंत्रित करते हैं। दुनिया के इन 20 शक्तिशाली देशों ने माना है कि जब भारत के इसकी अध्यक्षता करने का मौका मिला है और भारत की ओर से जो संदेश आया है वह बहुत महत्वपूर्ण है।
क्योंकि जो हमारे वेद वाक्य हैं
'अयं निजःपरोवेति गणना लघुचेतसाम्
उदारचरितानां तु वसुधैवकुटुम्बकम्। अर्थात् - यह मेरा है, यह पराया है ऐसी गणना दुष्टों की (छोटे चित्त वालों की) होती है। जबकि उदार चित्त वाले (बड़े दिल वाले) तो पूरे विश्व को ही अपना परिवार मानते हैं। वसुधैवकुटुम्बकम् जो जी-20 के लिए हमारा स्लोगन है, उसे दोबारा से रेखांकित करने का काम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने किया है। भारत इकलौता ऐसा देश है जिसे सोने की चिड़िया कहा गया। दुनिया का एक ऐसा देश है जिसने सबसे ज्यादा आक्रमण झेलें। हां, यह जरूर है कि नेपोलियन के बारे में कहा जाता है कि उसने 42 लड़ाइयां लड़ी और सभी में जीत हासिल की। 43वीं में वह हार गया। नेपोलियन ने कहा था कि मैंने तलवार की नोक से इस मुकुट को उठाकर अपने सिर पर पहना है, जब तक मैं एक के बाद दूसरी जीत फ्रांस की झोली में डालता रहूंगा तभी तक इस कुर्सी पर बैठने का अधिकारी हूं। एक सैनिक के पद से फ्रांस का शासक बनने का मौका नेपोलियन को मिला था।
भारत एक ऐसा देश है जिसने सबसे ज्यादा दुनिया को दिया लेकिन सबसे ज्यादा दुनिया के द्वारा इस देश को दर्द उठाने पड़े। आचार्य चाणक्य ने यह बात बहुत बार दोहराई थी कि हम अहिंसक हैं सहिष्णु हैं, हम किसी पर आक्रमण नहीं करते, हम आक्रांता नहीं है, बहुत अच्छी बात है, लेकिन हमें अपनी ताकत से इतना भी समझौता नहीं करना चाहिए कि कोई शत्रु की सेना आकर हमारी सीमा में प्रवेश कर जाए। हमें हमेशा इतना मजबूत रहना चाहिए कि हम किसी पर आक्रमण नहीं करते, तो कोई दूसरा भी हमपर आक्रमण करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। कहीं न कहीं बुनियादी भूल भारत से हुई।
भारत ने अध्यात्म में एक शब्द दिया, जो दुनिया के किसी धर्म शास्त्र में पढ़ने को नहीं मिलता। वह शब्द है मोक्ष। पूरी दुनिया के धर्म ग्रंथ उठाकर देख लीजिए मोक्ष का वर्णन सिर्फ भारत के वेदों ने दिया है। मोक्ष क्या है? ईश्वर के पार निकल जाना। भारत आज इन अर्थों में महत्वपूर्ण है कि वो दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। जी-20 की प्रेसीडेंसी भारत के पास है। सबसे ज्यादा युवा आबादी है। भारत आज वसुधैवकुटुम्बकम् का संदेश पूरी दुनिया को दे रहा है। भारत का जो इंडियन डायस्पोरा है, जिसको प्रधानमंत्री ने अब तक के जितने तत्कालीन प्रधानमंत्री हुए उनकी तुलना में सबसे ज्यादा उसके महत्व को समझा और उसको रेखांकित किया है, दुनिया के पटल पर इंडियन डायस्पोरा को जिस तरह से रखा वो वाकई काबिले-तारीफ है। इसकी जितनी प्रशंसा किया जाए कम है। हम इतना जानते हैं कि भारत के इस देश में इतने लोग रहते हैं। यह सिर्फ हमें संख्या के तौर पर पता था लेकिन इंडियन डायस्पोरा के बल पर भारत ने पूरी दुनिया में जो अपना दबदबा बनाया है पहले कहीं उसमें कमी थी। हम चार कदम पीछे थे। बीते नौ वर्षों में उस दूरी को पूरा किया गया है। एपीजे अब्दुल कलाम फाउंडेशन के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूं।