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भारत लिटरेचर फेस्टिवल 2025 के कार्यक्रम में सीएमडी सर के संबोधन
विषय- नए दौर की स्त्री उसके सपने,संघर्ष और स्वतंत्रता-

सबसे पहले दीपाली जी को धन्यवाद और साथ में भारत लिटरेचर टीम को धन्यवाद,मिरांडा हाउस में छोटे भाई-बहनों को बहुत-बहुत आभार की आप लोग यहां पर बैठे हुए है सुनने के लिए। हांलाकि मैं वक्ता के रुप में बिल्कुल स्थापित नहीं हूं क्योंकि मैंने कभी भी वक्ता के रुप में अपने को स्थापित नहीं किया लेकिन हां पत्रकारिता के क्षेत्र में जो बच्चे कुछ साल पुराने है वो जरुर मुझे जानते है,क्योंकि 28 साल से काम करते हुए हो गए है।

बात अपने मुद्दे पर करते है सवाल ये उठता है कि स्त्री को ले करके अभी भी कोई संस्थान बनाने की,कोई स्कीम देने की,स्कालरशिप देने की हमें जरुरत क्यों पड़ती है।अभी भी ये विमर्श-चर्चा क्यों करते है...

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अविनाश पाण्डेय जी द्वारा सीएमडी सर का परिचय/सवाल-

उपेंद्र जी एक बड़े पत्रकार रहे,आप सहारा के सीएमडी रहे और आप ने बखूबी चलाया उस संस्थान को साथ तमाम बड़े न्यूज संस्थान के नाम है जिसमें आप के काम की पहचान रही है।अब भारत एक्सप्रेस आप ने लांच किया है।

सीएमडी सर-

देखिए भारत में ही नहीं पूरी विश्व में(जैसा की रविंद्र जी ने कहा की )मैं जो देखता हूं की आगे आने वाले समय में भारत में जो सिनेरियो रहने वाला है।मैं अपनी बात पूरा करने के लिए कुछ डेटा रख रहा हूं 15 सिंतबर1959 को हमारे देश में टेलीविजन आया था और सोलह सालों में यानि 1975 तक सिर्फ सात शहरों में टेलीविजन की सुविधा शुरु हो पाई।1982 में पहली बार भारत को ये सौभाग्य मिला की हम कलर टीवी पर कलर पिक्चर देख सके।उसके बाद चीजें बहुत तेजी बदली,जैसे मैं पूरे ब्रह्माण की उत्पत्ति और यहां तक के सफर को मैं सात कालखंडों को बांट करके देखता हूं।

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अविनाश पाण्डेय जी द्वारा सीएमडी सर का परिचय/सवाल-

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नीरज साहब अपने आप में महाकाव्य हैं। उनसे मेरी मुलाकात कैसे हुई ये बड़ा रोचक किस्सा है। 11 फरवरी 2010 को इंदौर में एक कवि सम्मेलन था। वहां जावेद अख्तर साहब और मुझे 'भरोसा पत्रकार सम्मान' साथ में दिया गया। वहां मुनव्वर राणा साहब, राहत इंदौरी साहब, नीरज साहब के साथ देश के नामचीन कवि मौजूद थे। नीरज साहब को किसी ने बताया कि सहारा मीडिया के CEO भी यहां आए हुए हैं। उन्होंने मुझे बुलाया... बोले- अरे, तुम्हारे चेयरमैन को मैंने एक चिठ्ठी लिखी थी, उस चिठ्ठी का जबाव अभी तक नहीं आया। मैंने कहा क्या लिखा था

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इंडियन सोसायटी ऑफ गांधियन स्ट्डीज

बहुत-बहुत आभार,आज बहुत अच्छा दिन है की मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी के चांसलर पद्म श्री से नवाजे गए है।इस विशेष उपलब्धि पर तालियां बनती है।

मंच पर मंचासीन सीमा राय मैम,शहनवाज आलम जी,शाहिमा जी,सतीश कुमार राय जी जुड़े हुए बनारस से,प्रणाम करता हूँ।आरती द्वेदी साहब उन्होंने बहुत सारगर्भित तरीके से अपनी बात रखी।

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नीरज साहब अपने आप में महाकाव्य हैं। उनसे मेरी मुलाकात कैसे हुई ये बड़ा रोचक किस्सा है। 11 फरवरी 2010 को इंदौर में एक कवि सम्मेलन था। वहां जावेद अख्तर साहब और मुझे 'भरोसा पत्रकार सम्मान' साथ में दिया गया। वहां मुनव्वर राणा साहब, राहत इंदौरी साहब, नीरज साहब के साथ देश के नामचीन कवि मौजूद थे। नीरज साहब को किसी ने बताया कि सहारा मीडिया के CEO भी यहां आए हुए हैं। उन्होंने मुझे बुलाया... बोले- अरे, तुम्हारे चेयरमैन को मैंने एक चिठ्ठी लिखी थी, उस चिठ्ठी का जबाव अभी तक नहीं आया। मैंने कहा क्या लिखा था

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हमारे छोटे छोटे प्रयास भी राष्ट्र को सशक्त और मजबूत बनाते हैं

भारत एक्सप्रेस के सभी साथियों को स्वतंत्रता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं। हम सभी भारत एक्सप्रेस परिवार के सदस्य हैं और कंधे से कंधे मिलाकर काम कर रहे हैं। इस स्वतंत्रता दिवस की थीम है : 'राष्ट्र प्रथम सदैव प्रथम' ; जब ये थीम मैंने सुनी तो बड़ी खुशी हुई, क्योंकि इसी भावना के साथ अपनी कंपनी का नाम भारत शब्द से रहेगा, भारत एक्सप्रेस कहीं न कहीं बहुत मजबूती से दिखाता है। सत्य, साहस, समर्पण ।

मेरा सहारा इंडिया परिवार में लंबा समय गुजरा। मैं आज भी खुद को उस परिवार का सदस्य मानता हूं। क्योंकि परिवार के मुखिया सहाराश्री का स्नेह-प्रेम आज और इस वक्त भी अविरल मेरे साथ है। जैसे उनके साथ मैं रात-दिन काम करता था, इस मंच से उनको भी याद कर रहा हूं। 'भारत पर्व' मनाने का संस्कार सहाराश्री ने ही दिया।

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मुकम्मल इंसान बनने के लिए बहुत कुछ त्यागना होता है

जब मैं छठी क्लास में था तब पिताजी बीबीसी रेडियो सुना करते थे, उस समय मैं गांव रहता था। उस दौर में विनाका गीतमाला आती थी, बाद में शिवाका गीतमाला हो गई। अमीन सयानी साहब गीतों के पायदान बताया करते थे। पिताजी के साथ मैं भी बीबीसी सुनता। सुनते-सुनते मुझे भी रुचि आने लगी।

पत्रकार बनने की शुरुआत

मैंने तय किया कि जैसा रेडियो में बोलते हैं वैसे एक दिन मैं भी बोलूंगा। 1995 में मैट्रिकुलेशन किया, उस समय यूपी बोर्ड टफेस्ट बोर्ड होता था। उस समय टॉप पच्चास में मैंने भी स्कोर किया। गांव में धारणा बनी रहती थी कि लड़का सिविल सेवा में जाए। लोग पूछते थे कि तुम क्या करना चाहते हो तो मैं शर्म के मारे बताता नहीं था कि मैं पत्रकार बनना चाहता हूं। इस सवाल पर चुप रह जाता था।धीरे-धीरे समय आया जब मैंने बीबीसी के नोट्स बनाने शुरु किए (अपनी जर्नलिज्म यात्रा की छोटी सी बात बता रहा हूं) कहीं भी रहता लेकिन बीबीसी की सभा नहीं छोड़ता था। साथ में पेन और रजिस्टर लेके

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गंगा-जमुना तहजीब के नायक

अलामा इकबाल का ये बहुत ही खुबसूरत और प्रसिद्ध शेर है

- हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है

बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा।

एपीजे अब्दुल कलाम साहब 2002 में जब भारत के राष्ट्रपति बने और जिस तरह उनका चयन हुआ.. भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने देखा था। भारत में गंगा-जमुना तहजीब की अगर मिसाल दी जाए और उसमें कुछ महापुरुषों का नाम जोड़ा जाए तो 20वीं सदी में कलाम साहब के नाम पर मुझे नहीं लगता कि हिंदुस्तान की 139 करोड़ की आबादी में

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अन्याय के खिलाफ भगवान परशुराम की मुखरता अनुकरणीय

किसी कार्यक्रम में जब कुछ लोग इकट्ठे होते हैं तो उसका एक मंतव्य होता है। एक उद्देश्य होता है। जो उद्देश्य है उसके पीछे एक आदमी खड़ा हो या दस आदमी, उद्देश्य एक ही होना चाहिए- समाज कैसे बेहतर और सुंदर बने।

विष्णु के छठे अवतार

भगवान परशुराम से हम सब का जुड़ाव है, हमारी वंशबेल वहां से आती है। भगवान परशुराम के जीवन के बारे में मैं यहां नहीं बताऊंगा क्योंकि यहां लगभग सभी लोगों को मालूम होगा। जमदग्य मुनि और मां रेणुका के पुत्र परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार भी माने जाते हैं। जिस तरह से अपने पिता की आज्ञा पूरा करने के लिए उन्होंने अपने मां का वध किया

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प्रश्न - आप राम मंदिर के प्रांगण में मौजूद थे.. प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम चल रहा था, इस दौरान आप के मन में क्या विचार आया?

उत्तर - जो मुठ्ठी भर लोग कहते हैं कि हिंदुस्तान में असहिष्णुता पैदा हो गई है, हमको खतरा दिख रहा है। मैं पूछता हूं कि 140 करोड़ की आबादी में 118 करोड़ आबादी हिंदू है, अगर वो पल भर के लिए भी उबाल मार जाए तो खतरा कितना बड़ा हो जाएगा। 500 सौ साल लग गए इस मसले को लड़ते हुए हिंदुओं को। ऐसे देश में असहिष्णुता कैसे हो सकती है?

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गुणों की खान थे महाकवि नीरज

नीरज साहब की याद में उनकी पुण्यतिथी पर काव्यांजलि पिछले 6 सालों से हो रही है। 11 फरवरी 2010 को इंदौर शहर में नीरज साहब से मेरी पहली मुलाकात हुई थी। नीरज साहब और हम मंच पर तो अकेले थे, लेकिन कवि सम्मेलन के दौरान फोन के माध्यम से उनके पूरे परिवार से हमारा परिचय हो गया। तब का दिन था और आज का दिन, हम लोग परिवार की तरह ही रहते हैं, सुख-दुख बांटते हैं और हमेशा जुड़े रहते है।

कमाल के ज्योतिषी

नीरज साहब के आखिरी दिनों में भी मेरी उनसे मुलाकात हुई। हर बार नीरज साहब के जीवन से जुड़ा एक कोई अनूठा किस्सा सुनाता हूं। नीरज साहब को जो लोग बेहद करीब से जानते होंगे उन्हें पता होगा कि नीरज साहब ज्योतिषी भी थे, कमाल के ज्योतिषी थे। उनके एक गहरे दोस्त डाक्टर थे। उन्हें कैंसर का पता चला। डाक्टर साहब बड़े मायूस थे, नीरज साहब ने कहा कि तुम अपनी कुंडली दिखाओ

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