Loading...

Media Coverage

outlook
BOSS in SATCAB SYMPOSIUM 2025
अविनाश पाण्डेय जी द्वारा सीएमडी सर का परिचय/सवाल-

उपेंद्र जी एक बड़े पत्रकार रहे,आप सहारा के सीएमडी रहे और आप ने बखूबी चलाया उस संस्थान को साथ तमाम बड़े न्यूज संस्थान के नाम है जिसमें आप के काम की पहचान रही है।अब भारत एक्सप्रेस आप ने लांच किया है।

सीएमडी सर-

देखिए भारत में ही नहीं पूरी विश्व में(जैसा की रविंद्र जी ने कहा की )मैं जो देखता हूं की आगे आने वाले समय में भारत में जो सिनेरियो रहने वाला है।मैं अपनी बात पूरा करने के लिए कुछ डेटा रख रहा हूं 15 सिंतबर1959 को हमारे देश में टेलीविजन आया था और सोलह सालों में यानि 1975 तक सिर्फ सात शहरों में टेलीविजन की सुविधा शुरु हो पाई।1982 में पहली बार भारत को ये सौभाग्य मिला की हम कलर टीवी पर कलर पिक्चर देख सके।उसके बाद चीजें बहुत तेजी बदली,जैसे मैं पूरे ब्रह्माण की उत्पत्ति और यहां तक के सफर को मैं सात कालखंडों को बांट करके देखता हूं।


पहला कालखंड था जब हम आदिम युग में थे(गैदरर्स हंटर्स युग)और हमारी औकात अगर स्पीशीज में देखी जाए तो कीड़े-मकड़ो से थोड़ी ऊपर थी और जंगल का जानवर हमें डराता था।सूर्यास्त होने से बहुत पहले हम छुप जाते थे और दोपहर होने के बाद निकलते थे।कुछ खाने-पीने के जुगाड़ के लिए जो महीनों में दो-चार बार ही मिल जाता था। हमारी ऐसी शुरुवात हुई जब हम आदमी के रुप में आए,वैज्ञानिकों की जो बातें सामने आई है वो 450 सौ अरब साल इस पृथ्वी की उम्र है और आधी उम्र बीत चुकी है और कभी सूर्य भी ठंडा पड़ जाएगा और पृथ्वी भी ब्लैक होल में समा जाएगी।

दूसरा युग में हमने आग का अविष्कार किया और इससे आदमी के हाथों में इतनी ताकत दी की आदमी जंगल के शेर,भालू,चीते सबको डराने लगा और फिर आदमी के हाथ में सत्ता आई।

तीसरा युग में जब आदमी आग का अविष्कार कर लिया तो इसके आगे सोचा की हम सभ्यता का विकास करते हैं।आदमी ने खेती शुरु की,कुछ खाने-पीने की पंसदीदा चीजें थी जंगल से उनके बीज इकठ्ठा करके दो-चार,पांच-दस लोग समूहों में रहना चालू किए।इसको मैं तीसरा कालखंड को तौर पर मानता हूं।

चौथा कालखंड आया जब आदमी ने यात्राएं शुरु की जब आदमी ने चलने के साधन बनाए और छोटे-मोटे खुरपी,कुदाल जैसी चीजें इजाद की ये चोथा कालखंड मानता हूं।

पांचवां कालखंड में साम्राज्यों की स्थापना हुई और आदमी पूरी तरह से सिविलाइज हो गया जो कपड़ा पहनने लगा और आदमी की तरह दिखने लगा।

छठवां कालखंड मैं मानता हूं जो आने में करीब-करीब लाखों बर्ष लग गए जब छोटी-बड़ी मशीनों ने अपनी जगह बनाई,आदमी ने मशीनों की खोज की।

मैं एक कहानी बताता...जब बाबर भारत में तोप लेके आया था तो हम तलवार और भालों से लड़ रहे थे। किसी ने महाराणा प्रताप से कहा की आदमी कितना भी बहादुर हो और सामने वाला कितना भी कायर हो और उसके हाथ में गोली-बंदूक है तो फिर बहादुर क्या कर लेगा,मारा ही जाएगा।ये टेक्नोलाजी का आवश्यकता समझ में आई।

और इसके आगे आठवां कालखण्ड मैं मानता हूं जिस काल में हम सब जी रहे है।एआई का युग है,स्टार्टअप का युग है। अब हमारे पास इतनी असीम संभावनाएं है की हजारों डाट्स क्रिएट करके एक नई चीज बना देते है(आजकल इसको स्टार्टअप कहा जाता है)और स्टार्टअप के आगे की चीज है अमेरिका के जो शीर्ष कंपनीयां है उसमें भारतीय सीईओज् है।

रही बात टेलीविजन की हम टेलीविजन को किस रुप देखते है।मैं अब ये देखता हूं की हमारा फोन एक बटन के आकार का हो जाएगा भविष्य में,छोटी सी चिप हमारे हाथों में रहेगी हमारे मन के हिसाब से जब चाहेंगे लगाएंगे आवश्यकता न रहने पर हटा देंगे मोबाइल आफ हो गया और चिप पर्मानेंट कलाई में लगी रहेगी और हम वर्चूअल कहीं भी देश सकते है।साथ ही जिसके हाथ में वो चिप होगी वही देख पाएगा।आगे की मोबाइल की दुनिया कुछ इस प्रकार की होने वाली है।

एलन मस्क अपने मोबाइल के लिए ये कहता है जब वो बाजार में आएगा तो उसको कभी चार्ज ही नहीं करना पड़ेगा उसमें कोई सिम कार्ड अपनी ओर से डालने की जरुरत ही नहीं होगी।वो मोबाइल किसी भी रोशनी से चार्ज हो जाएगा(इन डोर या आउट डोर)यानि जहां है मोबाइल अपने बराबर की एनर्जी इस इको-सिस्टम से लेता रहेगा साथ ही आप को कोई नंबर अलग से नहीं लेना पड़ेगा क्योंकि स्टारलिंक के सेटलाइट से उनके द्वारा नंबर आरक्षित करके ही मिलेगा।

मुझे याद है 90 के दशक में जब मैं बीबीसी सुना करता था,उस समय कैलाश बदवार जी थे जो ज्ञान-विज्ञान का कार्यक्रम पेश करते थे।चूंकि मेरा बचपन से ही झुकाव रहा अठाइस साल हो गए स्नातक के प्रथम से इस विधा में काम करते हुए।उस समय में बड़े-बड़े टेप आते थे वो अब चिपों में बदल गए।उससे पहले मिनी टेप आया,बीबी आया,डेक्टा फोन टेप आया उसके बाद वो छोटे-छोटे चिप में बदल गए।अब उससे ऊपर के टेक्नोलाजी आ गई जो न्यू जनरेशन मोबाइल आने वाले है उसमें आज की तरह मोबाइल नाम की चीज ही नहीं रहेगी और ये समान्तर जुड़ा रहेगा अन्य डिवाइसों से भी।

आज हम इलेक्ट्रिक वाहन की बात कर रहे है 2025 तक इस पूरी दुनिया में ड्रोन टेक्नोलाजी के मदद से,हाइड्रोटेक्नोलाजी के मदद से,न्यूक्लियर टेक्नोलाजी के मदद से आसमान में उड़ने वाली कारें बनेंगी और पूरा ट्रांसपोर्ट ड्रोन टेक्नोलाजी की तरफ शिफ्ट हो जाएगा।आज की हमारी कारें है वो पूरी तरह से बदल जाएगी।

टेलीविजन का मीडियम ये और तेजी से बदलेगा जैसे पूरी दुनिया में 550 करोड़ लोग टीवी या किसी अन्य डिजिटल माध्यमों से जुड़े हुए है। भारत में 117 करोड़ लोग मोबाइल से टीवी देखते है जिसमें 18 से 25 वर्ष के बीच युवा है करीब 86 प्रतिशत अपने मोबाइल पर टीवी देखते है।और जो परंपरागत टीवी है वो दिन पर दिन कम होती जा रही है,क्यों कम होती जा रही है तो टीवी देखने के पीछे हम इतने सुविधा परस्त हो गए है की हमें जो चीज चाहिए वो हमें तुरंत वही पर चाहिए।हम बहुत जगहों पर देखते है,कई सारे घरों में भी देखते है की बाथरुम में भी टीवी लगा रखे है की इस समय में भी देख सके।बाथरुम वाले टीवी को भी रिमोट से चलाना होता है और जो आपका फोन है केवल हथेली के बराबर है वो आप को और सुविधा देता है और उसी सुविधा ने आदमी के पूरे मनोविज्ञान को बदल के रख दिया है।

आगे आने वाले समय में ना फोन होगा ना हार्डवेयर होगा हम लोगों को टीवी देखने के लिए कुर्सी चाहिए और सामने एक दीवाल होना चाहिए जिस पर टीवी टांगने के लिए साथ ही एक जगह बैठना पर पड़ेगा लेकिन मोबाइल क्या करता है वो एक साथ दस और काम करने की सुविधा देता है।अगर आप मल्टीटास्किंग है तो मल्टीटास्किंग बनाने में मोबाइल आपकी मदद कर रहा है।इससे आप की सुविधा छिन नहीं रही है बल्कि सुविधा बढ़ा रही है।

कहा गया की है आदमी से प्यार करने में खतरें भी है और सुविधा भी है लेकिन वस्तुओं से प्यार जल्दी इसलिए हो जाता है कि वस्तुओं से प्यार करने में सिर्फ सुविधा ही सुविधा है।हमें वस्तुओं के प्रति समर्पित नहीं होना है वस्तुएं हमारे प्रति समर्पित है ही।इसलिए वस्तुओं से कोई भी चीज जिसमें आत्मा नहीं है जिसमें सांस नहीं धड़कती।

एआई के बारे गलत भ्रम लेके लोग बैठे हुए है कि लोगों की नौकरियां चली जाएंगी।एक डेटा आया है जिसमें दुनिया को डेटा बता रहा है की करीब 80 करोड़ नौकरियां जाएंगी साथ ही 95 करोड़ नौकरियां मिलेगी यानि की एआई के आने से 15 करोड़ नौकरियां और अधिक हो जाएगी लेकिन लोगों के बीच का डर ये है कि एआई आदमी की जगह ले लेगा।एआई कभी भी आदमी की जगह ले ही नहीं पाएगा।मैं आज एक चुनौती दे रहा हूं कि जो भी लोग मुझे सुन रहे हो...जिस दिन दाल-चावल खाने के बाद कोई एआई खून बना दे उस दिन मैं मान लूगां की परमात्मा की सत्ता हार गई।

Want to Explore More Bharat Express